अपनी पहली फिल्म देखते-देखते ही हुई थी इस एक्टर की मौत, कैंसर ने ली जान, अब छा गई अनसुनी जिंदगी की कहानी


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‘सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव’ फेम शफीक शेख।

भारत भर के सिनेमाघरों में फिल्म ‘सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव’ फिल्म रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म 2000 के दशक की शुरुआत में मालेगांव फिल्म उद्योग का निर्माण करने वाले लोगों के जीवन के बारे में है। इस फिल्म में नासिर शेख, फिरोज, अकरम खान और शफीक शेख जैसे लोगों की अनसुनी कहानी दिखाई गई है। इस फिल्म में शफीक शेख नाम का एक किरदार दिखाया गया है, जो असल जीवन से इंस्पायर्ड है। असल लाइफ में भी शफीक शेख एक एक्टर थे, जिन्होंने अपनी फिल्म के प्रीमियर पर मूवी देखते-देखते दम तोड़ दिया। इन्हें आखिर क्या हुआ था और कैसे इनकी मौत हुई चलिए आपको बताते हैं।

मौत से पहले खुद को देखा स्क्रीन पर

‘सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव’ से कई साल पहले ‘मालेगांव का सुपरमैन’ नाम की एक फिल्म रिलीज हुई थी। इस फिल्म में लीड हीरो के तौर पर शफीक शेख नजर आए थे। उनका सपना अमिताभ बच्चन जैसी हस्तियों के साथ फिल्मों में काम करना था। उनका सपना खुद को बड़े पर्दे पर देखना था। उनकी आखिरी और पहली फिल्म के प्रीमियर में दिग्गज निर्देशक अनुराग कश्यप उनसे मिलने आए थे। उनका सपना तब सच हुआ जब वो अपनी आखिरी सांसें गिन रहे थे। अपनी मौत से कुछ वक्त पहले ही उन्होंने खुद को स्क्रीन पर देखा।  

superboys of malegaon

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नासिर शेख और शफीक शेख।

ऐसे हुई मौत

‘मालेगांव का सुपरमैन’ प्रीमियर रात करीब 12 बजे खत्म हुआ और कैंसर के कारण रात 2 बजे उनकी मौत हो गई। इस प्रीमियर का आयोजन मेकर ने मालेगांव में ही किया था और आखिरी वक्त में अपने करीबियों के बीच बिस्तर पर लेटे हुए फिल्म देखे। 28 वर्ष की उम्र में ही शफीक ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। दुखद बात यह रही कि फिल्म ‘सुपरमैन ऑफ मालेगांव’ में गुटखा खाने के खिलाफ संदेश दिया गया था और शफीक की मौत गुटखा के अधिक सेवन से होने वाले कैंसर से हुई। उन्होंने मालेगांव के युवाओं से गुटखा न खाने की अपील की और 300-400 लोगों ने गुटखा खाना बंद कर दिया। फिल्म ‘सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव’ 28 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। रीमा कागती के निर्देशन में बनी इस फिल्म को रितेश सिधवानी, फरहान अख्तर, जोया अख्तर और रीमा कागती ने मिलकर प्रोड्यूस किया है।

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अब बनी है फिल्म

बता दें, ‘मालेगांव का सुपरमैन’ को नासिर शेख ने निर्देशित किया था। ‘मालेगांव का सुपरमैन’ के अलावा उन्होंने ‘मालेगांव के शोले’ का भी निर्माण किया था। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने ये दोनों फिल्में बनाईं। अब इन दोनों कहानियों को मर्ज करके नए अंदाज में बड़े पर्दे पर ‘सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव’ के जरिए दिखाया जा रहा है। कहानी छोटे शहर की है, जहां कुछ लड़कों का एक ग्रुप है जो एक्टर और डायरेक्टर बनना चाहता है। ये कैसी अपनी पहली फिल्म बनाते हैं इस पर कहानी आधारित है।

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