ईशा अंबानी से लेकर कैटरीना कैफ तक, महाकुंभ में सितारों संग नजर आईं ये अमेरिकन साध्वी, कभी दिखती थीं ऐसी


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ईशा अंबानी और कैटरीना कैफ के साथ साध्वी भगवती सरस्वती।

महाकुंभ 2025 का अब समापन हो गया है। देश-दुनिया के लोगों के साथ ही महाकुंभ में नामी-गिनामी लोगों का भी तांता लगा रहा है। प्रयागराज में हुए इस भव्य आयोजन में फिल्मी सितारों और बड़े उद्योगपति की भीड़ देखने को मिली। अंबानी से लेकर अडानी तक पूरे परिवार के साथ इस आयोजन का हिस्सा बने। इस खास आयोजन में एक अमेरिकन साध्वी ने सभी का ध्यान खींचा। ये ज्यादातर नामी उद्योगपतियों और फिल्मी सितारों के साथ वक्त गुजारती, आध्यात्मिक ज्ञान देती और त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाती नजर आईं। कैटरीना कैफ, ईशा अंबानी, रवीना टंडन, कैलाश खेर, राज कुमार राव, पत्रलेख, पंकज त्रिपाठी जैसे सितारों के साथ ये नजर आईं। भगवा साड़ी, कर्ली खुले बाल और गोरे रंग वाली ये साध्वी कौन हैं चलिए आपको बताते हैं। 

अमेरिका छोड़ चुनी आध्यात्म की राह

अमेरिका के लॉस एंजिल्स, केलिफोर्निया में पैदा हुई साध्वी बगवती सरस्वती साल 1996 में भारत घूमने आई थीं। भारत भ्रमण पर आई बगवती सरस्वती ने साल 1999 में  स्वामी चिदानंद सरस्वती से दीक्षा ली। तीन साल भारत में रहने के बाद और आध्यात्म को समझने की नई यात्रा शुरू करने के बाद उन्होंने सांसारिक मोह त्याग दिया। वो अपने जीवन को पूरी तरह बदल डालीं और अमेरिकन कलचर छोड़ भारतीय सभ्यता के रंग में रम गईं। उन्होंने अपनी सांसारिक जीवन त्याग कर साध्वी बनने का फैसला किया। रंगीन कपड़े छोड़ वो सिर्फ भगवा वस्त्र ग्रहण कर लीं। परमार्थ निकेतन में वो आध्यात्म पर अपनी पकड़ बनाईं और अब शिविर में नियमित रूप से प्रवचन और सत्संग करती हैं।  

Sadhvi Bhagwati saraswati

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साध्वी बनने से पहले बगवती सरस्वती की झलक।

अब करती हैं ये काम

साध्वी भगवती सरस्वती परमार्थ निकेत में योग भी सिखाती हैं और अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक भी हैं। भारतीय मंचों ही नहीं बल्कि वो संयुक्त राष्ट्र के मंच पर दलाई लामा, प्रिंस चार्ल्स और कई देशों का प्रत्निधित्व कर रहे राष्ट्रअध्यक्षों के साथ भी अपने विचार साझा कर चुकी हैं। सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में उनके काम को देखते हुए उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया था। विदेश में दौरा करने के अलावा साध्वी भगवती अपना ज्यादा वक्त ऋषिकेश में ही बिताती हैं। इसके अलावा वो कई मानवता कार्यक्रमों का भी संचालन करती हैं। साध्वी भगवती सरस्वती काफी पढ़ी लिखी भी हैं। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा वो मनोविज्ञान में पीएचडी भी कर चुकी हैं। 

ऐसे आईं भारत

अपनी किताब ‘हॉलीवुड टू द हिमालयाज: ए जर्नी ऑफ हीलिंग एंड ट्रांसफॉर्मेशन’ में उन्होंने बताया कि वो एक यहूदी परिवार से आती हैं। बचपन में यौन उत्पीड़न का उन्होंने सामना किया। उनका बचपन कई मुसीबतों के बीच गुजरा। आध्यात्म की खोज के लिए उन्होंने पति से तलाक ले लिया। अब वो हिंदू जीवन पद्धति का पालन करती हैं। उन्होंने अपनी किताब में ये भी खुलासा किया है कि कई देशों में घूमने के दौरान भारत के शाकाहारी खाने के बारे में सुनी थीं और फिर उन्होंने भारत आने का फैसला किया। गंगा में नहाते हुए उनके मन में भारत में ही बसने का विचार आया। जब उन्होंने ये बात अपने पिता और परिवार से बताई तो वो उनके भारत आने के खिलाफ थे। फिर उनके वकील पिता की मुलाकात स्वामी स्वामी चिदानंद सरस्वती से अमेरिका में हुई और उन्होंने इन्हें आश्रम में रहने के लिए भेज दिया।

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