क्या था लता मंगेश्कर का असली नाम? स्वर कोकिला की इन 7 बातों से होंगे आप भी अनजान


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लता मंगेशकर।

‘स्वर साम्राज्ञी’, ‘बुलबुले हिंद’ और ‘कोकिला’ जैसे नामों से पहचानी जाने वाली लता मंगेशकर को देश का बच्चा-बच्चा याद करता है। उनके गानों की बदौलत वो लोगों के दिल-दिमाग में बसी हुई हैं। लता मंगेशकर अब इस दुनिया में भले ही न हों, लेकिन उनकी आवाज हमेशा अटल रहेगी। महान गायिका और भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर ने 6 फरवरी 2022 को मुंबई में अंतिम सांस ली। वह 92 वर्ष की थीं। गायिका के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। देश आज भी उनके निधन से उबर नहीं पाया है। लता मंगेशकर की पुण्यतिथी के मौके पर उन्हें पूरा देश याद कर रहा है। ऐसे में हम आपके लिए उनसे जुड़ी 7 ऐसी बातें लेकर आए हैं, जिनसे आप अनजान होंगे। 

लता ने बदला था नाम

उन्होंने अपना नाम एक प्रसिद्ध पात्र लतिका के नाम पर बदल लिया था। हेमा के रूप में जन्मी, बाद में उनका नाम बदलकर लता रख दिया गया, जो उनके पिता के नाटक ‘भाव बंधन’ में एक पात्र के नाम से प्रेरित था।

पांच साल की उम्र में लगीं गाने

चूंकि उनके पिता एक थिएटर अभिनेता और शास्त्रीय गायक थे, इसलिए उन्हें बहुत कम उम्र में ही संगीत से परिचित कराया गया और उन्होंने पांच साल की उम्र में ही गाना शुरू कर दिया। स्टारडस्ट को दिए एक साक्षात्कार में लता मंगेशकर ने याद किया, ‘ऐसा हुआ कि एक बार मेरे पिता ने अपने शागिर्द (शिष्य) से कहा कि जब वे कुछ काम निपटा रहे हों तो वे एक राग का अभ्यास करें। मैं पास में ही बजा रही थी और अचानक शागिर्द द्वारा गाया जा रहा राग का एक स्वर गड़बड़ा गया। और अगले ही मिनट मैं उसे ठीक कर रही थी। जब मेरे पिता वापस लौटे तो उन्होंने अपनी बेटी में शागिर्द की झलक देखी।’ 

कभी लाइव नहीं हुआ पहला गाना 

1938 में नौ साल की उम्र में लता ने नूतन थिएटर, शोलापुर में अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन दिया। उन्होंने 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया। हालांकि, ‘नाचू या गाड़े, खेलू सारी मानी हौस भारी’ गाने को फिल्म के अंतिम कट से हटा दिया गया था।

नहीं सुने अपने गाने

लता मंगेशकर ने कभी अपने गाने नहीं सुने। बॉलीवुड हंगामा से बात करते हुए लता मंगेशकर ने एक बार कहा था कि वह कभी अपने गाने नहीं सुनतीं, क्योंकि उन्हें अपनी गायकी में कई खामियां नजर आती हैं।

नेहरू भी रो पड़े थे

उनके देशभक्ति गीत ने प्रधानमंत्री नेहरू को रुला दिया था। लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गीत को 1962 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित किया था। 27 जनवरी 1963 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में उनके देशभक्ति गीत ने प्रधानमंत्री नेहरू को रुला दिया था।

उनके नाम है ये रिकॉर्ड

लता मंगेशकर प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल में लाइव परफॉर्म करने वाली पहली भारतीय बनीं। यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका पहला प्रदर्शन था।

गाए इतने गाने

गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के 1974 के संस्करण में, उन्हें सबसे ज़्यादा रिकॉर्ड किए गए कलाकार के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, जिन्होंने लगभग 25,000 गाने गाए थे। हालांकि, मोहम्मद रफीने इस दावे का विरोध किया।

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